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लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2022 कॉफी की दुकान

हुस्न का खजाना हो, इश्क का सामान हो 
कैसे कहूं जाना ,तुम कॉफी की दुकान हो

कत्थई रंग की आंखें कॉफी की याद दिलाती हैं 
जितनी बार भी पी है , तलब और भी बढ़ाती हैं 
यौवन के छलकते प्याले में बड़ी बदगुमान हो 
कैसे कहूं जाना, तुम कॉफी की दुकान हो । । 

अपने लबों से छू लो तो कॉफी मीठी हो जाये 
बदन की गरमाहट ऐसी सांसों में आग लग जाये 
ख्वाबों का तरन्नुम हो, उमंगें जवान हो
कैसे कहूं जाना , तुम कॉफी की दुकान हो 

श्री हरि 
27.11.22 


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8 Comments

Khan

28-Nov-2022 09:38 PM

बेहतरीन 🌺👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Nov-2022 12:14 AM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

28-Nov-2022 07:11 PM

बहुत ही सुन्दर

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Nov-2022 12:14 AM

धन्यवाद जी

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Wahhh लाजवाब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Nov-2022 12:14 AM

💐💐🙏🙏

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